गधों को अक्सर लोग मज़ाक में ‘सीधा-सादा’ या ‘मूर्ख’ कहकर पुकारते हैं, लेकिन हकीकत इससे कहीं आगे है। ये मेहनती, समझदार और वफादार जानवर मानव सभ्यता का सदियों से हिस्सा रहे हैं। भारत के ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था में गधों का योगदान बेहद अहम है , चाहे बात हो खेत से अनाज ढोने की, ईंट-रेत पहुंचाने की या सामान परिवहन की।हालांकि, दुख की बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों में देश में गधों की आबादी में बड़ी गिरावट आई है। 2019 में हुई आख़िरी गिनती के मुताबिक, भारत में गधों की संख्या केवल 1.20 लाख रह गई है। आइए जानते हैं, किन 10 राज्यों में इन मेहनती जानवरों की आबादी सबसे ज्यादा है और वे वहां क्यों खास हैं।10. आंध्र प्रदेश , लगभग 5,000 गधेतटीय और पहाड़ी ग्रामीण इलाकों में गधे किसानों के सच्चे साथी हैं। भारी सामान और खेती का बोझ ढोने में ये बेहद मददगार साबित होते हैं।9. हिमाचल प्रदेश , 5,000 से अधिकपहाड़ी संकरी राहों और ढलानों पर सामान पहुंचाने में गधों की कोई बराबरी नहीं। यहां के लोग इन्हें अपने दैनिक जीवन का हिस्सा मानते हैं।8. मध्य प्रदेश , 8,000गांव और आदिवासी क्षेत्रों में गधे खेती के छोटे-मोटे काम और सामान ढुलाई में अहम भूमिका निभाते हैं। इनकी देखभाल भी आसान और सस्ती होती है।7. कर्नाटक , 9,000गांवों में रेत, ईंट और फसलों की ढुलाई में गधे महत्वपूर्ण हैं। सूखा-ग्रस्त इलाकों में भी ये बिना थके काम करते हैं।6. जम्मू-कश्मीर , 10,000कठिन पहाड़ी रास्तों और ठंडे मौसम में भी गधों की मेहनत रंग लाती है। इनकी मजबूती यहां की जीवन-रेखा है।5. बिहार – 11,000गांवों और खेतों में गधे गरीब किसानों के भरोसेमंद साथी हैं। कम खर्च और ज्यादा काम करने की क्षमता इन्हें लोकप्रिय बनाती है।4. गुजरात – 11,000+कच्छ और सौराष्ट्र में गधे नमक, लकड़ी और खेत का सामान ढोने में अहम हैं। ये यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में शामिल हैं।3. उत्तर प्रदेश – 16,000गांवों में ईंट, अनाज और अन्य सामान की ढुलाई में गधों का रोज़ाना योगदान है, जो ग्रामीण जीवन को आसान बनाता है।2. महाराष्ट्र – 18,000ग्रामीण और सूखा-ग्रस्त इलाकों में गधे ढुलाई और मजदूरी का एक सस्ता और भरोसेमंद साधन हैं। इनका योगदान स्थानीय रोजगार में भी है।1. राजस्थान – 23,000देश में सबसे ज्यादा गधों वाली भूमि। रेगिस्तानी इलाकों में पानी, लकड़ी, चारा और अन्य सामान ढोने में गधों की मेहनत अमूल्य है।नतीजाराजस्थान से लेकर आंध्र प्रदेश तक, गधे भारतीय ग्रामीण जीवन की रीढ़ हैं। इनकी संख्या घट रही है, जो चिंता का विषय है। समय आ गया है कि हम इनके योगदान को पहचानें और इनके संरक्षण के लिए कदम उठाएं, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में इनका अमूल्य सहयोग कायम रहे।
You may also like
सड़क दुर्घटना में तीन की मौत, एक घायल
एआई तकनीक में दक्ष होंगे यूपी के विधायक, विधानसभा में आयोजित हुआ विशेष सत्र
कांग्रेस को लगा तगड़ा झटका, पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने इस बड़े पद से दिया इस्तीफा, क्या है वजह?
बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा को चुनाव आयोग से नोटिस, डबल वोटर आईडी पर जवाब-तलब
Kal Ka Mausam: बारिश का डबल अटैक: दिल्ली में 11-12 अगस्त को क्या होगा?