उत्तर प्रदेश, जिसे अब 'एक्सप्रेसवे प्रदेश' के नाम से भी जाना जाने लगा है, अपने इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क में एक और ऐतिहासिक अध्याय जोड़ने की तैयारी कर रहा है। यमुना, आगरा-लखनऊ, पूर्वांचल, और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की शानदार सफलता के बाद, अब योगी सरकार एक ऐसी महापरियोजना पर काम करने जा रही है जो सही मायनों में प्रदेश की भाग्य रेखा साबित हो सकती है। हम बात कर रहे हैं लगभग 700 किलोमीटर लंबे गोरखपुर-शामली एक्सप्रेसवे (Gorakhpur-Shamli Expressway) की।यह सिर्फ एक और सड़क नहीं होगी, बल्कि यह एक ऐसा आर्थिक और सामाजिक गलियारा होगा जो उत्तर प्रदेश के दो बिल्कुल अलग-अलग भौगोलिक और आर्थिक क्षेत्रों - पूर्वी उत्तर प्रदेश (पूर्वांचल) और पश्चिमी उत्तर प्रदेश - को सीधे तौर पर एक सूत्र में पिरो देगा। यह एक्सप्रेसवे 22 जिलों से होकर गुजरेगा और प्रदेश के विकास को एक नई, अभूतपूर्व गति प्रदान करेगा।क्या है गोरखपुर-शामली एक्सप्रेसवे और क्यों है यह इतना ख़ास?गोरखपुर-शामली एक्सप्रेसवे एक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे (Greenfield Expressway) होगा। इसका मतलब है कि यह पूरी तरह से एक नए रास्ते (एलाइनमेंट) पर बनाया जाएगा, जिसके लिए नई जमीन का अधिग्रहण होगा। यह मौजूदा सड़कों को चौड़ा करके नहीं बनाया जाएगा, जिससे निर्माण कार्य तेज गति से हो सकेगा और रास्ते में आने वाले शहरों और कस्बों को भी जाम से मुक्ति मिलेगी।इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसका मकसद:एक्सप्रेसवे की मुख्य विशेषताएं और रूटयह महत्वाकांक्षी एक्सप्रेसवे अत्याधुनिक इंजीनियरिंग का एक बेहतरीन नमूना होगा, जिसकी कई विशेषताएं होंगी:इस एक्सप्रेसवे से आपकी जिंदगी पर क्या होगा असर?यह मेगा प्रोजेक्ट सिर्फ उद्योगों के लिए ही नहीं, बल्कि आम आदमी के जीवन में भी बड़े और सकारात्मक बदलाव लाएगा:फिलहाल इस प्रोजेक्ट के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है, जिसके बाद भूमि अधिग्रहण का काम शुरू किया जाएगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि गोरखपुर-शामली एक्सप्रेसवे सिर्फ कंक्रीट का एक रास्ता नहीं, बल्कि 'नए उत्तर प्रदेश' के 'आत्मनिर्भर' भविष्य की ओर ले जाने वाला एक स्वर्णिम पथ साबित होगा।
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