आदि शंकराचार्य जयंती कब है 2025: सही तिथि और महत्व: आदि शंकराचार्य, जिन्हें हिंदू धर्म का एक प्रमुख दार्शनिक और गुरु माना जाता है, ने सनातन धर्म को नई दिशा दी। उनका जन्मदिन, जिसे आदि शंकराचार्य जयंती के रूप में मनाया जाता है, हिंदू अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है।
यह पर्व न केवल उनके योगदान को याद करने का अवसर है, बल्कि अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों को समझने और अपनाने का भी मौका देता है। आइए, जानते हैं कि 2025 में आदि शंकराचार्य जयंती कब मनाई जाएगी, इसका महत्व क्या है, और इस महान संत ने हिंदू धर्म को कैसे समृद्ध किया।
आदि शंकराचार्य: सनातन धर्म के पुनर्जनन का प्रतीक
आदि शंकराचार्य का जन्म 788 ईस्वी में केरल के कालड़ी गांव में एक नंबूदरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने केवल आठ वर्ष की आयु में सन्यास लिया और भारतभर में सनातन धर्म का प्रचार किया। उन्होंने अद्वैत वेदांत का प्रचार किया, जो यह सिखाता है कि आत्मा और परमात्मा एक ही हैं।
जब हिंदू धर्म बौद्ध और जैन धर्म के प्रभाव से कमजोर हो रहा था, शंकराचार्य ने अपने तर्क, शास्त्रार्थ, और लेखन के माध्यम से हिंदू संस्कृति को पुनर्जीवित किया। उनके द्वारा स्थापित चार मठ—ज्योतिर्मठ (उत्तराखंड), शृंगेरी मठ (कर्नाटक), गोवर्धन मठ (ओडिशा), और शारदा मठ (गुजरात)—आज भी सनातन धर्म के प्रमुख केंद्र हैं। इन मठों के प्रमुख को शंकराचार्य कहा जाता है, जो हिंदू धर्म के मार्गदर्शक हैं।
आदि शंकराचार्य जयंती 2025: सही तारीख और समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 1 मई 2025 को सुबह 11:23 बजे शुरू होगी और 2 मई को सुबह 9:14 बजे समाप्त होगी। हिंदू परंपरा में उदयातिथि का विशेष महत्व है, जिसके आधार पर कोई भी पर्व मनाया जाता है।
चूंकि 2 मई को सुबह पंचमी तिथि उदय के समय मौजूद रहेगी, इसलिए आदि शंकराचार्य जयंती 2 मई 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त शंकराचार्य की शिक्षाओं को याद करते हैं और उनके द्वारा स्थापित मठों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
शुभ मुहूर्त: पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय
आदि शंकराचार्य जयंती पर पूजा और ध्यान के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना शुभ माना जाता है। 2 मई 2025 को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:45 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:10 बजे से 4:55 बजे तक और विजय मुहूर्त दोपहर 2:30 बजे से 3:25 बजे तक रहेगा।
इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी मौजूद रहेगा, जो पूजा और आध्यात्मिक कार्यों के लिए विशेष फलदायी है। भक्त इस समय में आदि शंकराचार्य के मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
आदि शंकराचार्य जयंती का महत्व
आदि शंकराचार्य जयंती न केवल उनके जन्म का उत्सव है, बल्कि हिंदू धर्म के पुनरुत्थान का भी प्रतीक है। उस समय जब हिंदू संस्कृति पतन की ओर थी, शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों को पुनर्जनन दिया।
उनके कार्यों ने माधवाचार्य और रामानुज जैसे अन्य संतों के साथ मिलकर हिंदू धर्म को नई दिशा दी। शंकराचार्य ने विभिन्न संप्रदायों को एकजुट करने और सनातन धर्म की एकता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करती हैं।
जयंती पर क्या करें?
आदि शंकराचार्य जयंती पर भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के पूजा स्थल पर शंकराचार्य की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और पूजा करें। उनके द्वारा रचित ग्रंथों का पाठ करें। अगर संभव हो, तो नजदीकी शंकराचार्य मठ में जाकर दर्शन करें और वहां होने वाली विशेष पूजा में हिस्सा लें। इस दिन दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है।
सनातन धर्म का गौरव
आदि शंकराचार्य जयंती 2025 सनातन धर्म के इस महान संत के योगदान को याद करने का अवसर है। उनके द्वारा स्थापित अद्वैत वेदांत और चार मठ आज भी हिंदू धर्म के आधार हैं। यह दिन हमें उनकी शिक्षाओं को अपनाने और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
नोट
नोट: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और पंचांग पर आधारित है। पूजा या अनुष्ठान से पहले किसी विद्वान से सलाह लें।
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