सनातन धर्म में भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है। उन्हें सौम्य और रौद्र दोनों रूपों में पूजा जाता है। शिव सृष्टि के उत्पत्ति, स्थिति और संहार के अधिपति हैं। त्रिदेवों में शिव को संहारक के रूप में जाना जाता है। उनका नाम कल्याणकारी है, लेकिन वे लय और प्रलय दोनों के स्वामी हैं।
पंडित एसडी शर्मा के अनुसार, शिव के कई नाम हैं जैसे बाबा भोलेनाथ, शिवशंकर, नीलकंठ आदि। मान्यता है कि सच्चे मन से शिव का स्मरण करने पर वे प्रसन्न होते हैं। धर्म ग्रंथों में शिव और माता पार्वती के विवाह का उल्लेख है।
महाशिवरात्रि का महत्व
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व विशेष महत्व रखता है। इस दिन भक्त भगवान शिव से क्षमा मांगते हैं और आने वाले वर्ष में उन्नति की प्रार्थना करते हैं।
भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय:
1. ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें। यह पंचाक्षरी मंत्र है, जिसके जाप से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
2. व्रति दिनभर इस मंत्र का जाप करें और निराहार रहें। रोगी और वृद्ध फलाहार ले सकते हैं।
3. शिवपुराण का पाठ रात्रि के चारों प्रहर में करना चाहिए।
4. महाशिवरात्रि पर उपवास करना और स्नान, वस्त्र, धूप, पुष्प और फलों का अर्पण करना उत्तम है।
भगवान शिव को प्रिय वस्तुएं
भगवान शिव को दूध, दही, शहद, सफेद फूल, और बिल्व पत्र प्रिय हैं। मंत्रों का पाठ करते समय ध्यान रखें।
रात को शिव चालीसा का पाठ करें और पूजा की हर वस्तु को संबंधित मंत्र के साथ अर्पित करें।
भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए ध्यान देने योग्य बातें:
1. केसर, चीनी, दूध, दही, घी, चंदन, शहद, सफेद पुष्प, धतूरा और बिल्व पत्र चढ़ाएं।
2. ॐ नमः शिवाय का जाप करते हुए जल चढ़ाएं।
3. बिल्व पत्र के तीन पत्ते पूरे होने चाहिए।
4. ताजे फूल ही अर्पित करें, मुरझाए हुए नहीं।
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