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शिव पुराण में नर्क की सजा: जानें कौन से कर्मों के लिए मिलती है कौन सी सजा

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नर्क की सजा और उसके प्रकार


ज्योतिष: जब से इंसान समझदारी से जीना शुरू करता है, उसे यह सिखाया जाता है कि अच्छे कर्म करना चाहिए। बुरे कर्म करने पर उसे नर्क का सामना करना पड़ सकता है, जहां उसे कठोर दंड मिलता है। यह केवल कहने की बात नहीं है, बल्कि कई शास्त्रों और पुराणों में इसका उल्लेख किया गया है।


शिव पुराण के एक अध्याय में नर्क के विभिन्न प्रकारों और उनके अनुसार मिलने वाली सजाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। आइए जानते हैं कि किन कर्मों के लिए कौन सा नर्क और सजा मिलती है।


1. महावीचि नर्क: शिवपुराण के अनुसार, जो लोग गायों की हत्या करते हैं, उन्हें इस नर्क में एक लाख वर्षों तक कष्ट भोगना पड़ता है। महावीचि नर्क रक्त से भरा होता है और यहां वज्र के समान कांटे होते हैं।


2. कुंभीपाक नर्क: जो लोग दूसरों की संपत्ति पर अवैध कब्जा करते हैं या ब्रह्महत्या करते हैं, उन्हें कुंभीपाक नर्क में भेजा जाता है, जहां गर्म रेत और अंगारे बिछे होते हैं।


3. रौरव नर्क: शिव पुराण में बताया गया है कि जो लोग झूठी गवाही देते हैं, उन्हें रौरव नर्क में गन्ने के समान दंडित किया जाता है। यहां उन्हें 70,000 वर्षों तक सजा भुगतनी पड़ती है।


4. मंजूस नर्क: निर्दोष व्यक्तियों को बंदी बनाने वाले लोगों को मंजूस नर्क में जलती हुई सलाखों से दंडित किया जाता है।


5. अप्रतिष्ठ नर्क: इस नर्क में मल और मूत्र भरा होता है, जहां पापियों को उल्टा लटकाया जाता है। धार्मिक व्यक्तियों को कष्ट पहुंचाने वालों को भी यहां दंडित किया जाता है।


6. विलेपक नर्क: शिवपुराण के अनुसार, जो संत और ब्राह्मण मदिरा का सेवन करते हैं, उन्हें इस नर्क में लौह की आग में जलाया जाता है।


7. महाप्रभ नर्क: जो लोग पति-पत्नी के बीच झगड़ा करवाते हैं, उन्हें इस नर्क में शूल से दंडित किया जाता है।


8. जयंती नर्क: पराई स्त्रियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने वाले लोगों को इस नर्क में भेजा जाता है, जहां उन्हें एक विशाल चट्टान के नीचे दबा दिया जाता है।


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