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आईआईटी टीम ने हरियाणा के मौर्यकालीन गांव में जमीन के नीचे ईंटों से बनी संरचनाएं पाईं

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर की एक टीम द्वारा ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) का उपयोग करके किए गए एक अध्ययन में यमुनानगर जिले के टोपरा कलां गांव में प्राचीन संरचनाओं के अस्तित्व का संकेत मिला है। प्रोफेसर जावेद एन मलिक, मिट्ठू ढाली और मोनिका कुमैया सहित पृथ्वी विज्ञान विभाग की टीम ने जनवरी में इस क्षेत्र का सर्वेक्षण किया और हाल ही में पुरातत्व एवं संग्रहालय, हरियाणा के निदेशक को रिपोर्ट सौंपी। प्रोफेसर मलिक ने कहा कि तीन स्थलों पर जीपीआर सर्वेक्षण किए गए, जिसमें गांव के तालाब के पास जमीन के नीचे ईंट की संरचनाएं पाई गईं। सतह से 5 मीटर नीचे कुछ क्रॉस-सेक्शन संरचनाएं भी देखी गईं, जो प्राचीन संरचनाओं की संभावना की ओर इशारा करती हैं। प्रोफेसर मलिक ने कहा, "गांव के मंदिर के आसपास एकत्र किए गए प्रोफाइल से देखे गए झुकाव वाले जियोरडार प्रतिबिंबों से पता चलता है कि यह एक गुंबद के आकार की संरचना हो सकती है।" मौर्य साम्राज्य से जुड़े होने के कारण यह गांव शोधकर्ताओं के लिए पुरातात्विक रुचि का विषय रहा है। यमुनानगर स्थित भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट के सह-संयोजक सिद्धार्थ गौरी ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रथम महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने 19वीं शताब्दी में टोपरा कलां का सर्वेक्षण किया था।

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