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किराडू मंदिर में रात को क्यों नहीं जाता कोई? जानिए इसके पीछे की डरावनी कहानी

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राजस्थान की रेतीली धरती रहस्यों से भरी पड़ी है। जहाँ एक ओर यह राज्य किलों, महलों और राजाओं की वीर गाथाओं के लिए प्रसिद्ध है, वहीं दूसरी ओर यहां कुछ ऐसे स्थान भी हैं, जिनके बारे में आज भी रहस्य बना हुआ है। बाड़मेर जिले में स्थित किराडू मंदिर उन्हीं में से एक है। यह मंदिर न केवल अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने रहस्यमयी श्राप और डरावनी कहानी के लिए भी जाना जाता है।

कहाँ है किराडू मंदिर?

किराडू मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले से लगभग 35 किलोमीटर दूर थार के रेगिस्तान में स्थित है। यह मंदिर परिसर 11वीं और 12वीं शताब्दी के बीच परमार राजवंश द्वारा बनवाया गया था। इस परिसर में कुल पाँच मंदिर हैं, जिनमें सबसे प्रमुख मंदिर सोमेश्वर महादेव को समर्पित है।

क्यों नहीं रुकता कोई रात को?

स्थानीय लोगों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद इस मंदिर में रुकना मना है। इस मंदिर को लेकर एक ऐसी किवदंती जुड़ी है जो इसे आज तक डर और रहस्य का प्रतीक बनाए हुए है। कहानी के अनुसार, कई साल पहले इस क्षेत्र में एक तपस्वी संत अपने शिष्यों के साथ निवास करते थे। एक बार संत कहीं बाहर गए और पीछे अपने एक शिष्य को छोड़ गए। जब वह बीमार हुआ, तब गांव के लोग उसकी सेवा करने में असफल रहे। जब संत लौटे और अपने शिष्य की दुर्दशा देखी, तो उन्हें गहरा दुःख हुआ। क्रोध में उन्होंने गाँव को श्राप दे दिया कि सूर्यास्त के बाद यहाँ जो भी रुकेगा, वह पत्थर का बन जाएगा। तब से, लोगों का मानना है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर परिसर में रात बिताने की कोशिश करता है, वह सुबह तक पत्थर बन जाता है

क्या यह सच है?

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस कथा को प्रमाणित करने का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। परंतु स्थानीय लोगों का विश्वास इतना दृढ़ है कि आज तक किसी ने इस मान्यता को तोड़ने की कोशिश नहीं की। इस क्षेत्र में रात के समय सन्नाटा और वीरानी छा जाती है। आसपास के गांवों के लोग सूर्यास्त से पहले ही इस जगह को खाली कर देते हैं। कुछ लोगों ने यहाँ अलौकिक घटनाएँ देखने का दावा भी किया है – जैसे अचानक पत्थर गिरना, अजीब सी आवाजें, या मंदिर के पास किसी परछाई का दिखना।

कला और इतिहास का खजाना

डरावनी मान्यताओं के बावजूद, किराडू मंदिर स्थापत्य कला का एक अद्भुत उदाहरण है। इसकी नक्काशी, शिल्प और शिखर मंदिरों को देखकर लगता है मानो हम खजुराहो या कोणार्क जैसे किसी विश्वप्रसिद्ध मंदिर परिसर में हैं।

निष्कर्ष

किराडू मंदिर केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि एक जिंदा रहस्य है। यह मंदिर जहां एक ओर हमें भारत की समृद्ध कला और संस्कृति की झलक देता है, वहीं दूसरी ओर एक ऐसी कहानी से जुड़ा है, जो आज भी लोगों के मन में भय और श्रद्धा दोनों को जगाती है। चाहे यह सिर्फ एक किवदंती हो या हकीकत – किराडू मंदिर आज भी रात में खामोश रहता है… और रहस्यमयी भी।

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