कहते हैं इंसान की खूबसूरती उसकी पहचान बन जाती है, लेकिन अगर वही खूबसूरती किसी के लिए एक बंदिश बन जाए तो? रूस की रहने वाली एंजेलिका केनोवा (Angelica Kenova) की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिन्हें दुनिया आज एक जीती-जागती बार्बी डॉल के रूप में पहचानती है। लेकिन ये पहचान उनके लिए एक जंजीर बन चुकी है, जिसकी वजह से उनका सामान्य जीवन प्रभावित हुआ है।
बचपन से मिली डॉल जैसी सुंदरताएंजेलिका केनोवा की खूबसूरती कोई अचानक मिलने वाला रूप नहीं, बल्कि यह तो बचपन से ही उनके साथ रहा। जब वह छोटी थीं, तब भी लोग उन्हें देख कर कहते थे कि वह किसी डॉल की तरह लगती हैं। उनकी मासूमियत, त्वचा की चमक, बड़ी-बड़ी आंखें और सटीक चेहरे की बनावट उन्हें बाकी बच्चों से अलग बनाती थी।
अब उनकी उम्र 30 साल हो चुकी है, लेकिन उनकी डॉल जैसी छवि आज भी उतनी ही प्रभावशाली है। जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ी, उनकी खूबसूरती और निखरती गई। यही कारण है कि आज लोग उन्हें "रियल बार्बी" कहकर बुलाते हैं।
समाज की नजरें बनी परेशानीशुरुआत में एंजेलिका को लोगों की तारीफें अच्छी लगती थीं। वे खुद भी डॉल की तरह कपड़े पहनना और वैसा ही रहन-सहन अपनाना पसंद करती थीं। लेकिन जल्द ही यह आकर्षण लोगों की ईर्ष्या और उपहास में बदल गया। उनके दोस्त उनसे जलने लगे, लोग उनके कपड़ों और चाल-ढाल का मजाक उड़ाने लगे।
कुछ लोग यह भी कहने लगे कि एंजेलिका ने प्लास्टिक सर्जरी करवा कर अपने शरीर को डॉल जैसा रूप दिया है। उनके परफेक्ट फिगर और चेहरे की वजह से लोग उन्हें "नकली" कहने लगे, जबकि एंजेलिका ने कई बार कहा है कि उन्होंने कभी कोई कॉस्मेटिक सर्जरी नहीं करवाई।
खुद पर नियंत्रण नहीं, नजरों में कैदसमाज की इसी सोच और लगातार मिलने वाले नकारात्मक रिएक्शन्स की वजह से एंजेलिका ने बाहर जाना बंद कर दिया। वह कहती हैं कि जब भी वह घर से बाहर निकलती हैं, लोग उन्हें घूरते हैं, वीडियो बनाते हैं, और अजीब कमेंट्स करते हैं। इससे वह मानसिक रूप से परेशान हो गईं और घबराहट और तनाव का शिकार होने लगीं।
उनके माता-पिता ने भी यही महसूस किया कि उनकी बेटी को बार-बार इस तरह की निगाहों और बातों का सामना करना पड़ता है, तो उन्होंने उसे बाहर न निकलने की सलाह दी। यही नहीं, अब एंजेलिका की जरूरत की हर चीज उनके माता-पिता ही घर पर ला देते हैं।
‘कैद’ नहीं, देखभाल है – एंजेलिका का जवाबहालांकि कुछ लोग यह मानते हैं कि एंजेलिका को उसके मां-बाप ने घर में "कैद" करके रखा है, लेकिन एंजेलिका इससे इत्तेफाक नहीं रखतीं। उनका कहना है कि, “मेरे मां-बाप मेरी ज्यादा देखभाल करते हैं। वे मेरे अच्छे के लिए ही ऐसा करते हैं। मैं खुद भी अब बाहर जाने से घबराती हूं।”
एंजेलिका का यह भी कहना है कि वह डॉल जैसी दिखना चाहती हैं, यह उनका पर्सनल चॉइस है और इसे लोग समझें या न समझें, इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता। वे चाहती हैं कि लोग दिखावे की बजाय सोच और भावना को महत्व दें।
निष्कर्ष: क्या खूबसूरती भी एक कैद है?एंजेलिका केनोवा की कहानी एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या बेहद खूबसूरत होना भी कभी-कभी एक बोझ बन सकता है? समाज की सीमित सोच और सुंदरता के प्रति असुरक्षा की भावना किसी भी इंसान की आजादी को सीमित कर सकती है।
एंजेलिका आज भी एक डॉल की तरह दिखती हैं, लेकिन वो अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीना चाहती हैं। वे सिर्फ सुंदर नहीं, सशक्त भी हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि खूबसूरती का मतलब केवल बाहर से नहीं, अंदर से भी सुंदर होना होता है – और उसमें सबसे बड़ी भूमिका समाज की सोच की है।
You may also like
आलू अर्जुन और अटली की नई फिल्म में एनिमेटेड किरदार की संभावना
मासिक राशिफल : 19 मई से 30 मई तक इन राशि वाले जातकों को करना पड़ सकता है मुश्किलो का सामना
ये है देश की सबसे छोटी ट्रेन, 9 किलोमीटर पहुंचने में लगाती है 40 मिनट का समय
Alwar में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प, तलवार और पत्थरों से हमला, आधा दर्जन लोग घायल, गांव में तनाव
Alwar में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प, तलवार और पत्थरों से हमला, आधा दर्जन लोग घायल, गांव में तनाव