Next Story
Newszop

आखिर करणी माता मंदिर में कहां से आए 30,000 से भी ज्यादा चूहे ? जानिए यहां क्यों पैर उठाकर नहीं चल सकते लोग

Send Push

भारत में स्थित कुछ मंदिर अपनी अनोखी मान्यताओं और रहस्यों के लिए प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक मंदिर है करणी माता मंदिर, जो राजस्थान के देशनोक क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर दुनिया भर में चूहों के भगवान के रूप में प्रसिद्ध है, और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आकर पूजा करते हैं। लेकिन सबसे बड़ा आकर्षण यहां के 30,000 से भी अधिक चूहे हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में "काबा" कहा जाता है। इस मंदिर में चूहों का बहुत सम्मान किया जाता है और यही चूहे इस स्थान को विशेष बनाते हैं।यहां के चूहे न केवल एक धार्मिक प्रतीक के रूप में पूजे जाते हैं, बल्कि मंदिर के परिसर में इनकी पूजा भी की जाती है। श्रद्धालु इन्हें भगवान के रूप में मानते हैं और उनके आस-पास रहकर पूजा करते हैं। हालांकि, यह मंदिर केवल अपनी अनोखी परंपराओं और चूहों के कारण ही नहीं, बल्कि एक और कारण से प्रसिद्ध है — यहाँ लोग बिना पैर उठाकर नहीं चल सकते।आइए, इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में विस्तार से जानें।


करणी माता मंदिर की रहस्यमयी कहानी
करणी माता मंदिर का इतिहास और मान्यताएँ बहुत दिलचस्प हैं। इसे करणी माता ने बनवाया था, जो एक प्रसिद्ध संत और योगिनी थीं। उनका जन्म राजस्थान के एक छोटे से गाँव में हुआ था और वे एक भक्तिपंथी संत थीं। मंदिर के बारे में मान्यता है कि एक बार करणी माता ने अपने एक भक्त के बेटे को मृत्यु के बाद पुनर्जीवित कर दिया था। इस चमत्कार के बाद, उन्होंने यह प्रतिज्ञा की थी कि हर व्यक्ति, चाहे वह मनुष्य हो या जानवर, इस मंदिर में पूजा करने के बाद हमेशा के लिए शांति प्राप्त करेगा।

करणी माता के बाद इस मंदिर की देखरेख उनके अनुयायियों द्वारा की जाती रही, और इसी दौरान चूहों की पूजा भी शुरू हुई। किंवदंती के अनुसार, मंदिर के परिसर में रहने वाले चूहे दरअसल करणी माता के भक्तों के पुनर्जन्म रूप में माने जाते हैं। यही कारण है कि इस मंदिर में चूहों को पूज्य माना जाता है और इन्हें जीवन का प्रतीक माना जाता है।

30,000 चूहे और उनका धार्मिक महत्व
करणी माता मंदिर में लगभग 30,000 चूहे निवास करते हैं, जो यहां के सबसे बड़े आकर्षण का कारण हैं। इन चूहों को "काबा" कहा जाता है, और इन्हें बड़े श्रद्धा और सम्मान से पूजा जाता है। मंदिर के आंगन में चूहों का झुंड हर जगह घूमता रहता है, और इन्हें श्रद्धालु किसी न किसी रूप में पूजा करते हैं।

मान्यता है कि यह चूहे करणी माता के भक्तों के पुनर्जन्म रूप हैं और इन्हें देवताओं के समान पूजा जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु अपने जीवन के संकटों से मुक्ति के लिए इन चूहों से आशीर्वाद मांगते हैं। हालांकि, यह भी बताया जाता है कि अगर किसी श्रद्धालु ने गलती से एक चूहे को मार दिया या किसी को नुकसान पहुँचाया, तो उन्हें माफी मांगनी पड़ती है, और मुआवजे के रूप में उन्हें सोने के चूहे का एक रूपांतरण करना पड़ता है।चूहों को पूजा अर्पित करते समय भक्त यह सुनिश्चित करते हैं कि वे इन्हें परेशान न करें। जब लोग यहां आते हैं तो उन्हें चूहों के साथ संयमित और शांतिपूर्ण व्यवहार करना होता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इन चूहों को सम्मान नहीं देते, उन्हें इस मंदिर से निकलने के बाद मुश्किलें आ सकती हैं।

क्यों लोग पैर उठाकर नहीं चल सकते?
करणी माता मंदिर में एक और अनोखी परंपरा है, और वह यह है कि श्रद्धालु को पैर उठाकर नहीं चलने दिया जाता। लोग यहां परंपरागत रूप से अपनी चाल धीमी रखते हैं और धीरे-धीरे चलते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि मंदिर में इतने सारे चूहे होते हैं, और इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह परंपरा बनाई गई है।

यह परंपरा श्रद्धालुओं को यह याद दिलाती है कि चूहों का सम्मान किया जाए और उन्हें परेशान न किया जाए। पैरों को उठाकर चलने से चूहों के पैरों के नीचे आ जाने का खतरा रहता है। इसके अलावा, यह परंपरा भक्तों को यह भी सिखाती है कि उन्हें हमेशा संयम और धैर्य के साथ जीवन जीना चाहिए।जब भक्त इस मंदिर में प्रवेश करते हैं, तो वे अपने जूते-चप्पल बाहर ही छोड़कर भीतर जाते हैं, और मंदिर के अंदर चूहों के साथ पूरी आस्था और सम्मान से व्यवहार करते हैं। यह एक तरह से आध्यात्मिक शिक्षा का हिस्सा है, जिसमें श्रद्धालु को अपने अहंकार को छोड़कर विनम्रता से भगवान के समक्ष आना होता है।

क्यों है करणी माता मंदिर का महत्व?
करणी माता मंदिर का महत्व केवल इसलिए नहीं है कि यहां चूहे पूजे जाते हैं, बल्कि यह मंदिर एक गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक का प्रतिनिधित्व करता है। यहां आने से भक्तों को मानसिक शांति, आंतरिक संतुलन और जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है। इस मंदिर में आने का एक और उद्देश्य यह है कि यहां आने वाले भक्त अपने दुखों और कष्टों से मुक्त होते हैं।मंदिर का निर्माण और उसकी आंतरिक वास्तुकला भी दर्शनीय है। यहां का वातावरण शांति और ध्यान की ओर प्रवृत्त करता है, जिससे भक्त पूरी तरह से मानसिक शांति का अनुभव कर सकते हैं।

निष्कर्ष
करणी माता मंदिर एक अनोखा और धार्मिक स्थल है, जहां चूहों को भगवान के रूप में पूजा जाता है और श्रद्धालु इन चूहों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहाँ आते हैं। यहां के दर्शन और मान्यताएँ न केवल भक्तों के लिए एक अद्वितीय अनुभव होती हैं, बल्कि यह पूरी दुनिया में इस मंदिर को एक प्रसिद्ध स्थल बनाती हैं। चूहों की पूजा और पैर उठाकर न चलने की परंपराएँ इसे एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल बनाती हैं, जो दुनिया भर के पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं।तो अगली बार जब आप इस मंदिर के दर्शन करने जाएं, तो ध्यान रखें कि चूहों का आदर करें और उनके साथ संयमित व्यवहार अपनाएं, क्योंकि यह स्थान केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि जीवन की सच्ची शिक्षाओं का प्रतीक है।

Loving Newspoint? Download the app now