धमतरी, 3 मई . धमतरी जिले में बढ़ती गर्मी के साथ पेयजल संकट गहरा गया है. शहर के अलावा शहरी सीमा क्षेत्र से लगे हुए कई गांव में पेयजल की समस्या से ग्रामीणों को दो-चार होना पड़ रहा है. सुबह-शाम के समय सार्वजनिक नलकूप में पानी लेने ग्रामीणों की भीड़ जुट रही है. बिजली गुल हो जाए तो परेशानी और बढ़ जाती है.
धमतरी जिले में पेयजल की समस्या गहराने लगी है जिसके चलते लोगों को परेशान होना पड़ रहा है. कहीं बीर फेल हो गए हैं तो कहीं सार्वजनिक नल की धार पतली हो चली है. धमतरी शहर से लगे हुए ग्राम पंचायत देमार में सुबह और शाम के समय सार्वजनिक नलों में पानी लेने के लिए लोगों की भीड़ लगती है. शहर गांव के अलग-अलग स्थान पर बने अधिकांश सार्वजनिक नलों की स्थिति एक सी है. इसी तरह का हाल ग्राम पंचायत मुजगहन, श्यामतराई, भटगांव, लोहरसी सहित अन्य गांव का है, जहां पानी लेने के लिए लोगों को काफी परेशान होना पड़ता है. ग्राम पंचायत देमार के सुरेश कुमार साहू, दिनेश कुमार साहू, पोखन साहू ने बताया कि गर्मी के मौसम में जल स्तर कम होने से नलों में पर्याप्त पानी नहीं आता, इसके चलते परेशानी होती है. एक बाल्टी पानी भरने में भी 10 से 12 मिनट का समय लग जाता है.
पीएचई विभाग प्रभावित क्षेत्रों में जलापूर्ति का दावा कर रहा है, लेकिन ग्रामीणों को पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है. धमतरी जिले में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, वैसे-वैसे पेयजल संकट भी गंभीर होता जा रहा है. कलेक्टर कार्यालय में रोजाना ग्रामीण पानी की समस्या को लेकर शिकायत करने पहुंच रहे हैं. विभाग का दावा है कि प्रभावित गांवों में पेयजल की व्यवस्था की जा रही है.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिले के 155 गांवों में पेयजल की गंभीर समस्या देखने को मिल रही है. धमतरी जिले को 2013 में पेयजल के मामले में सेमी-क्रिटिकल क्षेत्र घोषित किया गया था. हर साल यहां कई गांवों में पानी की विकट समस्या उत्पन्न होती है, जिसके चलते लोगों को पानी की एक-एक बूंद के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है.
इस साल 155 गांवों में पानी की भारी कमी देखी जा रही है, और ग्रामीणों को अपनी प्यास बुझाने के लिए लंबी दूरी तय कर पानी लाना पड़ रहा है. पीएचई विभाग के अनुसार, सामान्य तौर पर मई और जून में पेयजल संकट चरम पर होता था, लेकिन इस बार अप्रैल में ही पानी की समस्या शुरू हो गई है, जो चिंता का विषय बन गया है. जिन क्षेत्रों में कृषि कार्यों के लिए भारी मात्रा में पानी का दोहन हो रहा है, वहां स्थिति और भी खराब है.
/ रोशन सिन्हा
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