जयपुर, 2 अगस्त (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने एमएनआईटी, सिंचाई विभाग और सरस डेयरी व उससे जुडी करीब 75 बीघा जमीन को सरकारी घोषित किया है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में 70 साल पुराने जागीरदार के पट्टों को अमान्य करार देते हुए भूमि अधिग्रहण के पुराने अवार्ड को रद्द कर दिया है। अदालत ने राज्य सरकार को दोषियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की छूट भी दी है। जस्टिस अशोक कुमार जैन की एकलपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार और जयपुर विकास प्राधिकरण की 34 साल पुरानी अपील को स्वीकार करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि साल 1952 में जागीर उन्मूलन अधिनियम के तहत जमीन पहले की राज्य सरकार के पास आ गई थी। ऐसे में साल 1955 में जागीरदार की ओर से जारी पट्टा कानूनी रूप से अमान्य था।
अपील में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने अदालत को बताया कि साल 1952 में राजस्थान भूमि सुधार और जागीर उन्मूलन अधिनियम के तहत जागीरदारों की जमीनें राज्य सरकार के पास आ गई थी। इसके बावजूद जागीरदार ने 1955 में त्रिलोकी नाथ साहनी को 188 बीघा 8 बिस्वा जमीन का पट्टा जारी कर दिया। जिसमें खसरा नंबर 21 और 22 शामिल थे। वहीं बाद में राज्य सरकार के अधिकारियों की गलती से इस जमीन की अवाप्ति की अधिसूचना जारी हो गई। जिसका लाभ उठाते हुए साहनी ने मुआवजे के लिए दावा किया। भूमि अधिग्रहण अधिकारी से राहत नहीं मिलने पर मुआवजे के लिए मामला सिविल कोर्ट पहुंचा और रेफरेंस दायर किया गया, जिसे साल 1990 में स्वीकार कर लिया गया। राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ साल 1991 में हाईकोर्ट में अपील दायर की। इसी बीच मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने सन् 2000 में प्रकरण को पुनः सुनवाई के लिए हाईकोर्ट में भेज दिया।
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(Udaipur Kiran)
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