कोलकाता, 08 अप्रैल . कलकत्ता हाईकोर्ट की नई डिवीजन बेंच, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती कर रहे हैं, अब पश्चिम बंगाल के विभिन्न सरकारी स्कूलों में 32 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में अनियमितताओं से जुड़े मामले की सुनवाई करेगी.
पहले यह मामला न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति स्मिता दास की पीठ को सौंपा गया था. हालांकि, सोमवार को न्यायमूर्ति सेन ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. इसके बाद मामला मुख्य न्यायाधीश टी. एस. शिवगणनम के पास भेजा गया, जिन्होंने इसे न्यायमूर्ति चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली नई डिवीजन बेंच को सौंप दिया.
इस मामले में राज्य के विभिन्न सरकारी स्कूलों में कार्यरत लगभग 32 हजार प्राथमिक शिक्षकों के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं.
गौरतलब है कि मई 2023 में कलकत्ता हाईकोर्ट के तत्कालीन एकल पीठ के न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली— जो अब भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद हैं— ने भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ियों को देखते हुए 32 हजार प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया था. यह फैसला उन याचिकाओं के आधार पर आया था, जिनमें वंचित अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया था कि कई कम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को भी अनुशंसा पत्र मिल गए थे.
राज्य सरकार ने इस आदेश को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच में अपील की थी, जिसे न्यायमूर्ति सेन की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था. अब न्यायमूर्ति सेन के सुनवाई से अलग होने के बाद मामला न्यायमूर्ति चक्रवर्ती की पीठ के पास चला गया है.
इस बीच, पिछले सप्ताह उच्चतम न्यायालय की पीठ — मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार — ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा की गई 25 हजार 753 नियुक्तियों को रद्द करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच के आदेश को बरकरार रखा. उच्चतम न्यायालय ने यह भी माना कि राज्य सरकार और आयोग सच्चे और दोषपूर्ण उम्मीदवारों के बीच पृथक्करण करने में विफल रहे, जिसके कारण पूरी चयन सूची को रद्द करना आवश्यक हो गया.
/ ओम पराशर
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