बिलासपुर, 25 अगस्त (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में सड़कों पर फ्लाई ऐश का लापरवाही से परिवहन किए जाने और डस्ट के कारण जनता को हो रही परेशानी को लेकर जनहित की सुनवाई में सोमवार को साउथ ईस्टर्न कोल लिमिटेड और एनटीपीसी प्रबंधन ने अपना शपथपत्र दाखिल किया। जिसमें प्रबंधन द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई।
मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की युगलपीठ में सुनवाई के दौरान कहा गया कि यह अच्छा है कि आपने यह सभी कदम उठाए हैं ताकि किसी को कोई सुविधा न हो। एनटीपीसी द्वारा फ्लाई ऐश के परिवहन के संबंध में स्थिति की निगरानी की जा रही है, जिसमें इसके उपयोग के लिए एक समस्या पैदा कर रहा है। वहीं न्यायालय ने कहा है कि ध्यान रखा जाना चाहिए कि इसकी लगातार उनके द्वारा निगरानी की जा रही। जो हलफनामा एनटीपीसी और एसईसीएल जैसे संस्थाओं ने दिया है, वह सभी मानदंडों का अक्षरशः पालन करता है। यह केवल कागजों पर और केवल तस्वीरों में ही नहीं होना चाहिए। हम चाहते हैं कि इस स्थिति में व्यावहारिक पहलू का भी सख्ती से पालन किया जाए और आपके सामने स्थिति का आगे का मॉडल के रूप में देखा जाए। दरअसल पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस ने एसईसीएल की कार्य प्रणाली पर सख्त टिप्पणियां की थी। चीफ जस्टिस ने कहा कि एसईसीएल का रवैया इस प्रकार है कि हम कोयला बेचते हैं, बाकी परिवहन करने वाला जानें। यह तो वही बात हुई कि शराब बेचने वाला कहे हम तो शराब भेजते हैं बाकी पीने वाला जाने। पूरे मामले में जरूरी बिंदुओं पर दिशा निर्देश जारी करने के अलावा शपथ पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए थे।
न्यायालय ने कहा था एनटीपीसी, एसईसीएल बाकी जितनी भी ऐसी कंपनियां हैं वे देश के विकास के लिए जो काम कर सकते हैं वह करें। पर इसका मतलब यह भी नहीं है कि आप दूसरों को इसके लिए तकलीफ दे। आपके कोल परिवहन करने वाले 18 चक्के वाली गाड़ियों से सड़कों की स्थिति खराब है सड़के धंसी हुई है। 5 किलोमीटर में 25 गड्ढे हो गए हैं, जो हम आपको दिखा सकते हैं और आप कहते हैं कि यह हमारी जवाबदारी नहीं है हम केवल कोयला प्रोडक्शन करते हैं बाकी ट्रांसपोर्ट करने वाला जाने। कोर्ट ने कहा था कि आप फायदा कमाए पर नागरिकों की सेहत और सुरक्षा का भी ध्यान रखें। इस मामले में आंखें थोड़ी ना बंद रख सकते हैं। चीफ जस्टिस ने निर्देश जारी करते हुए कहा था कि आप ऐसा करेंगे कि जितनी गाड़ियां आपके यहां से निकलेंगी उसे बिना कोल कवर के परमिट नहीं करेंगे। उसकी फोटो के साथ हाईवे पेट्रोलिंग टीम चेक करेगी। यदि खुले में कोयला परिवहन करते मिला तो उस ट्रांसपोर्टर की एग्रीमेंट ,रजिस्ट्रेशन रद्द कर दीजिए।
आज सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायालय आयुक्त अपूर्व त्रिपाठी के 22 जुलाई 2025 को दायर एक कवरिंग मेमो के बारे में शपथ पत्र के बारे में पूछा गया, जिसमें अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) से गढ़वा (झारखंड) तक लगभग 190.6 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 343 की जर्जर स्थिति से संबंधित था। इस राजमार्ग की हालत इतनी खराब हो गई है कि लोग इसे सड़क से ज्यादा गड्ढों का ढेर कहने लगे हैं। अंबिकापुर से रामानुजगंज तक हर कुछ सौ मीटर पर वाहन बड़े गड्ढों में फंस रहे हैं और लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं। लोग मजबूरी में जोखिम उठाकर यात्रा कर रहे हैं, लेकिन हितधारक सब कुछ देखते हुए भी प्रभावी कदम नहीं उठा रहे हैं। जिस पर क्षेत्रीय निदेशक, एनएचएआई, रायपुर ने व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल किया।
कोर्ट कमिश्नर अंबिकापुर लखनपुर हाईवे की बदहाली स्थिति पर रिपोर्ट दी थी, जिसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग की तरफ से अधिवक्ता धीरज वानखेड़े ने बताया कि यह राज्य के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में आता है और छत्तीसगढ़ लोक निर्माण विभाग ने इसमें कार्य किया है। जिसपर न्यायालय ने लोक निर्माण विभाग के सचिव से इस पूरे मामले में व्यक्तिगत शपथपत्र में जानकारी मांगी है। इसके अलावा न्यायालय आयुक्त ने रायगढ़ में 9 ब्लैक स्पॉट की जानकारी भी रिपोर्ट में दी और जिले के एक जगह पर सड़क किनारे कोल वाशरी से होने वाले प्रदूषण पर जवाब पेश करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई 23 सितंबर 2025 को तय की गया है।
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(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi
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