कोलकाता, 17 अप्रैल . आर.जी. कर अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ हुई अमानवीय घटना के बाद विरोध में उतरे जूनियर डॉक्टरों ने ‘अभया’ फंड के नाम पर जुटाई गई राशि का उपयोग धरना और अनशन जैसे आंदोलनों में किया, जिसकी कुल लागत 15 लाख रुपये से अधिक बताई गई है. जैसे ही इस फंड का ब्योरा सार्वजनिक हुआ, राज्य भर में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं.
‘अभया’ फंड मूल रूप से आर.जी. कर अस्पताल की पीड़िता के न्याय और सहायता के लिए बनाया गया था. लेकिन अब आरोप है कि इस राशि का इस्तेमाल प्रदर्शन, प्रचार और मंच निर्माण जैसे खर्चों में किया गया. आंदोलन से जुड़े अनिकेत महातो, किंजल नंद और देवाशीष हल्दार पर फंड के दुरुपयोग के आरोप लगाए जा रहे हैं.
जूनियर डॉक्टरों द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के अनुसार, धर्मतला में आयोजित अनशन पर आठ लाख 79 हजार 257 रुपये और आर.जी. कर अस्पताल में धरने पर छह लाख 26 हजार खर्च किए गए. कुल मिलाकर, 15 लाख पांच जार से भी अधिक की राशि आंदोलन में खर्च हो गई.
प्रश्न यह उठ रहा है कि जहां अनशन में डॉक्टर भोजन नहीं कर रहे थे, वहां लगभग नौ लाख रुपये कैसे खर्च हुए? खर्च की गई राशि में मंच निर्माण और अन्य व्यवस्थाओं की बात कही गई है, लेकिन इस पर भी सवाल उठ रहे हैं.
तृणमूल कांग्रेस की ओर से लगातार आरोप लगाया गया है कि डॉक्टरों ने ‘अभया’ के नाम पर चंदा इकट्ठा किया, लेकिन न तो पीड़िता के माता-पिता को आर्थिक सहायता दी गई और न ही कानूनी लड़ाई का कोई स्पष्ट खाका सामने रखा गया. जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट की ओर से यह दावा जरूर किया गया कि बचे हुए पैसे अभया के लिए कानूनी लड़ाई में लगाए जाएंगे, लेकिन न वकील का नाम बताया गया, न ही कोई दस्तावेजी जानकारी दी गई.
अब यह मुद्दा न सिर्फ नैतिकता बल्कि पारदर्शिता पर भी सवाल खड़ा कर रहा है. आम जनता और आंदोलन में शामिल कई डॉक्टरों की ओर से भी फंड के सही इस्तेमाल को लेकर असंतोष सामने आ रहा है.
/ ओम पराशर
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