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शहर भर में धूमधाम से मनाया गया राम प्राकट्योत्सव

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जयपुर, 6 अप्रैल . चैत्र शुक्ल नवमी को रविवार को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का प्राकट्योत्सव राम नवमी के रूप में श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया. पूरा शहर राममय वातावरण से गुंजायमान रहा. मंदिरों में राम जन्म की वेला पर वेद मंत्रोच्चार, चौपाइयों और बधाइयों की स्वर लहरियां गूंजती रहीं. दोपहर ठीक 12 बजे अभिजीत मुहूर्त में पंचामृत से भगवान राम का जन्माभिषेक किया गया और विभिन्न मंदिरों में आकर्षक सजावट एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ.

चांदपोल बाजार स्थित श्री रामचंद्र जी मंदिर में राम नवमी का मुख्य आयोजन हुआ. यहां सुबह मंगला आरती के साथ उत्सव की शुरुआत हुई और दोपहर 12 बजे भगवान श्रीराम का जन्माभिषेक किया गया. 500 किलो दूध में केशर, गुलाब, केवड़ा और इत्र मिलाकर भगवान को स्नान कराया गया. ठाकुर जी को राजसी पोशाक पहनाई गई और रत्नजड़ित आभूषणों से श्रृंगारित किया गया. दोपहर में 2:30 बजे जन्म आरती और शाम 7 बजे 101 हवाई फटाकों के साथ महाआरती की गई. मंदिर में कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और बैंड वादन भी किया गया. इस दौरान मावे और मेवे से बना 51 किलो का केक काटा गया.

शहर के विभिन्न राम मंदिरों में भी राम नवमी का उत्सव उल्लासपूर्वक मनाया गया. श्री सरस निकुंज कुंज (सुभाष चौक) में पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज के सान्निध्य में महोत्सव का आयोजन हुआ. ठाकुर जी का पंचामृत से अभिषेक कर ऋतु पुष्पों से श्रृंगार किया गया और जन्मोत्सव के पद गाए गए.

खोले के हनुमान मंदिर परिसर स्थित सियाराम मंदिर में सुबह 6 बजे महाभिषेक किया गया. इसमें ऋतु फलों के रस, 108 औषधियों, पंचामृत और सरयू जल का प्रयोग हुआ. बाद में ठाकुर जी को नवीन पोशाक धारण कराई गई और 56 भोगों की झांकी सजाई गई. दोपहर में महाआरती हुई. यहां 211 आसनों पर रामायण पारायण भी चल रहा है, जिसकी पूर्णाहुति सोमवार को होगी.

सीताराम मंदिर (चौपड़), स्टेशन रोड राम मंदिर, राजापार्क, टोंक रोड व पापड़ के हनुमान मंदिर परिसर के राम मंदिर सहित अनेक स्थानों पर भक्तों ने राम जन्मोत्सव मनाया. विभिन्न कॉलोनियों से पदयात्राएं मंदिरों तक पहुंचीं. भगवान को मथुरा और वृंदावन से मंगाई गई विशेष पोशाकें पहनाई गईं.

राम नवमी इस वर्ष रविपुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवियोग जैसे विशेष संयोगों के कारण और भी विशेष बन गई. इस शुभ मुहूर्त में विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्य भी पूरे दिन होते रहे. पूरे शहर में भक्ति, उल्लास और सांस्कृतिक रंग में रंगी राम नवमी श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय पर्व बन गई.

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