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वेंटिलेटर पर जिंदगी से जूझ रही थी, पर हैवानों ने नहीं छोड़ा, अस्पताल के कर्मचारियों ने किया यौन उत्पीड़न

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गुरुग्राम, हरियाणा से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने निजी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक युवा एयरहोस्टेस, जो अपने जीवन की सबसे मुश्किल घड़ी से गुजर रही थी, के साथ अस्पताल में यौन उत्पीड़न की घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना न केवल मानवता को शर्मसार करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि मेडिकल संस्थानों में मरीजों की सुरक्षा कितनी लचर हो सकती है। आइए, इस मामले की पूरी कहानी को समझते हैं।

होटल में बिगड़ी थी तबीयत

यह कहानी शुरू होती है गुरुग्राम के एक होटल से, जहां एक एयरहोस्टेस अपनी कंपनी की ट्रेनिंग के लिए ठहरी थी। ट्रेनिंग के दौरान वह होटल के स्विमिंग पूल में समय बिता रही थी, तभी अचानक एक हादसा हुआ। पूल में डूबने के कारण उनकी तबीयत बिगड़ गई। स्थिति गंभीर होने पर उन्हें तुरंत एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके पति ने 5 अप्रैल को उन्हें गुरुग्राम के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में दाखिल करवाया, जहां उनकी हालत को देखते हुए उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया।

अस्पताल में हुई अमानवीय हरकत

6 अप्रैल की रात को, जब वह वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही थीं, कुछ ऐसा हुआ जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। महिला ने अपनी शिकायत में बताया कि उस समय वह पूरी तरह असहाय थीं और बोलने की स्थिति में नहीं थीं। अस्पताल के कुछ कर्मचारियों ने उनकी इस कमजोर स्थिति का फायदा उठाया और उनके साथ यौन उत्पीड़न किया। उस दौरान वह बेहोशी की हालत में थीं, और उनके आसपास मौजूद दो नर्सों ने भी कोई मदद नहीं की। यह घटना इतनी भयावह थी कि महिला डर और सदमे में चली गईं।

13 अप्रैल को सामने आया सच

महिला को 13 अप्रैल को अस्पताल से छुट्टी मिली। घर पहुंचने के बाद उन्होंने अपने पति को इस दर्दनाक घटना के बारे में बताया। यह सुनकर उनके पति स्तब्ध रह गए और तुरंत पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत जांच शुरू कर दी। महिला की शिकायत के आधार पर पुलिस ने अस्पताल के कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया और जांच को आगे बढ़ाया। यह मामला अब लोगों के बीच चर्चा का विषय बन चुका है, और अस्पताल प्रशासन से जवाब मांगा जा रहा है।

यह घटना केवल एक महिला के साथ हुई त्रासदी नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज और मेडिकल सिस्टम की कमियों को उजागर करती है। अस्पताल, जहां लोग अपनी जान बचाने के लिए जाते हैं, वहां ऐसी घटनाएं कैसे हो सकती हैं? यह सवाल हर किसी के मन में है। मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी किसकी है? क्या अस्पतालों में पर्याप्त निगरानी और जवाबदेही की व्यवस्था है? इस मामले ने न केवल गुरुग्राम, बल्कि पूरे देश में निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।

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