देश के लाखों केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी एक बार फिर महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) और महंगाई राहत (Dearness Relief) की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। जुलाई से दिसंबर 2025 की छमाही के लिए होने वाली इस घोषणा को लेकर कर्मचारियों की उम्मीदें कमजोर पड़ती दिख रही हैं। मौजूदा 55% डीए के साथ, कर्मचारी इस बार अच्छी बढ़ोतरी की आस लगाए बैठे थे, लेकिन हाल के आर्थिक संकेत निराशाजनक हैं। आइए, इस खबर को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि आखिर क्यों केंद्रीय कर्मचारियों के चेहरों पर मायूसी छा सकती है।
महंगाई भत्ते में कितनी होगी बढ़ोतरी?पिछले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति (Inflation) में लगातार कमी देखी गई है। अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (AICPI-IW), जो डीए की गणना का आधार है, ने 2025 के शुरुआती महीनों में गिरावट दिखाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह रुझान अगले कुछ महीनों तक जारी रहा, तो जुलाई-दिसंबर 2025 के लिए डीए में 2% से भी कम की वृद्धि हो सकती है। यह पिछले 78 महीनों में सबसे कम डीए वृद्धि होगी, जिससे करीब 1.2 करोड़ कर्मचारी और पेंशनभोगी प्रभावित होंगे। पिछले महीने केंद्र सरकार ने डीए और डीआर को 55% तक बढ़ाया था, लेकिन यह वृद्धि भी कर्मचारियों की उम्मीदों से कम थी।
सातवां वेतन आयोग: अंतिम पड़ाव2025 का साल सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के लिए बेहद खास है। यह आयोग 31 दिसंबर 2025 को अपना 10 साल का कार्यकाल पूरा करेगा। तकनीकी रूप से, जुलाई-दिसंबर 2025 के लिए होने वाली डीए वृद्धि इस आयोग के तहत अंतिम संशोधन होगी। ऐसे में कर्मचारियों की नजर इस बात पर भी है कि क्या सरकार अपने अंतिम संशोधन में कोई बड़ा तोहफा देगी। हालांकि, मौजूदा आर्थिक आंकड़े इसकी संभावना को कमजोर करते हैं। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों (Pensioners) के लिए यह खबर निराशाजनक हो सकती है, क्योंकि बढ़ती महंगाई के बीच डीए में मामूली वृद्धि उनके बजट पर असर डालेगी।
महंगाई भत्ता क्या है और क्यों है जरूरी?महंगाई भत्ता केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के साथ-साथ पेंशनभोगियों को दिया जाने वाला एक विशेष भत्ता है। इसका मुख्य उद्देश्य बढ़ती महंगाई के प्रभाव को कम करना है। डीए को साल में दो बार संशोधित किया जाता है—पहली छमाही जनवरी से जून और दूसरी जुलाई से दिसंबर तक। आमतौर पर पहली वृद्धि मार्च में और दूसरी अक्टूबर या नवंबर में घोषित होती है। यह भत्ता कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए आर्थिक सहारा है, जो उन्हें बाजार में बढ़ती कीमतों से निपटने में मदद करता है।
कर्मचारियों की उम्मीदों पर क्या होगा असर?केंद्र सरकार (Central Government) के इस फैसले से कर्मचारियों में निराशा फैल सकती है। खासकर तब, जब महंगाई भत्ता उनकी आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कम डीए वृद्धि का असर न केवल उनके मासिक बजट पर पड़ेगा, बल्कि उनकी बचत और भविष्य की योजनाओं पर भी सवाल उठ सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को आर्थिक स्थिति और कर्मचारियों की जरूरतों के बीच संतुलन बनाना होगा। क्या सरकार अंतिम डीए संशोधन में कर्मचारियों को राहत देगी? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।
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